
आयुर्वेद में मकोई (Black Nightshade) को एक बेहद महत्वपूर्ण औषधि के रूप में माना जाता है। यह एक छोटा सा पौधा है, जो खेतों और बागानों में खरपतवार की तरह उग आता है, लेकिन इसकी चिकित्सीय खूबियों के कारण इसे आयुर्वेद में बेहद खास स्थान दिया गया है। मकोई के पत्ते, फल और जड़ें औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं, जो कई बीमारियों के उपचार में सहायक मानी जाती हैं।
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आयुर्वेद में त्रिदोष संतुलन के लिए फायदेमंद
आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे सुश्रुत संहिता और चरक संहिता में मकोई के गुणों का उल्लेख किया गया है। इसे त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करने वाला बताया गया है, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाने, बुखार, पीलिया, सांस संबंधी समस्याओं और मुंह के छालों के इलाज में मदद करता है। इसके अलावा, मकोई शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
बुखार और अन्य संक्रमणों में असरदार
मकोई को पारंपरिक चिकित्सा में बुखार उतारने की एक असरदार औषधि माना जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे बुखार कम करने के लिए आज भी प्रयोग किया जाता है। बड़ों का कहना है कि बुखार के दौरान मकोई का सेवन करने से केवल एक घंटे में ही राहत मिल सकती है। यह प्राकृतिक रूप से शरीर में तापमान को नियंत्रित करने का काम करता है।
शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने में सहायक
मकोई एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर है। यह शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर शुद्धिकरण करने में मदद करता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में सहायक होते हैं। यही वजह है कि आयुर्वेदिक औषधियों में मकोई का उपयोग किया जाता है।
स्किन के लिए वरदान
त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए भी मकोई काफी उपयोगी माना जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण त्वचा के दाग-धब्बों और सनबर्न को कम करने में मदद करते हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, मकोई की पत्तियों का फेस पैक लगाने से त्वचा में निखार आता है और विभिन्न स्किन प्रॉब्लम्स से राहत मिलती है।
मुंह के छालों में कारगर
अगर आप अक्सर मुंह के छालों की समस्या से परेशान रहते हैं, तो मकोई के पत्तों को चबाने से राहत मिल सकती है। यह पेट से जुड़ी समस्याओं को भी कम करने में सहायक होता है। इसमें मौजूद औषधीय गुण शरीर के पाचन तंत्र को बेहतर बनाते हैं।
पीलिया के उपचार में रामबाण
पीलिया जैसी गंभीर बीमारी में भी मकोई का इस्तेमाल किया जाता है। इसे आयुर्वेद में पीलिया के इलाज के लिए रामबाण औषधि माना गया है। इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और रोगी को जल्दी स्वस्थ होने में मदद मिलती है।
प्राकृतिक उपचार प्रणाली को मजबूत करने में सहायक
कई शोधों में यह पाया गया है कि मकोई में ऐसे तत्व होते हैं, जो शरीर की प्राकृतिक उपचार प्रणाली (Natural Treatment System) को मजबूत बनाते हैं। इसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और यह सूजन कम करने में भी मदद करता है।
आयुर्वेदिक नुस्खों में प्रमुख स्थान
मकोई का उपयोग वर्षों से पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में किया जाता रहा है। दादी-नानी के नुस्खों में भी इसे विशेष स्थान प्राप्त है। खासकर बुखार, त्वचा रोग और पेट से जुड़ी समस्याओं में इसे प्रभावी माना जाता है। इसके लाभों को देखते हुए आयुर्वेद में इसे बेहद महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी माना गया है।