
मध्य प्रदेश (MP) में MP New Collector Guideline के तहत एक बार फिर प्रॉपर्टी की गाइडलाइन दरें बढ़ने जा रही हैं। इस बार औसतन 8 से 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है। राजधानी भोपाल में औसतन 14 फीसदी और वाणिज्यिक हब इंदौर में 30 फीसदी तक गाइडलाइन दरें बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड को भेजा गया है। बोर्ड की मंजूरी मिलने के बाद यह नई गाइडलाइन 1 अप्रैल 2025 से पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी।
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MP New Collector Guideline के तहत प्रस्तावित यह बढ़ोतरी आम जनता, रियल एस्टेट डेवलपर्स और किसानों के लिए मिली-जुली प्रतिक्रिया ला सकती है। जहां सरकार अपने राजस्व में वृद्धि करना चाहती है, वहीं जनता इस बढ़ोतरी को अव्यवहारिक और आर्थिक रूप से बोझिल मान रही है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में गाइडलाइन दरों को और अधिक पारदर्शी और वैज्ञानिक पद्धति से तय किया जाएगा।
पिछले साल भी हुई थी 7% की औसत वृद्धि
वर्ष 2024-25 की गाइडलाइन में भी औसतन 7 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। इस बार की प्रस्तावित वृद्धि पहले से ज्यादा है, जो यह दर्शाती है कि सरकार रियल एस्टेट से जुड़े राजस्व में इजाफा करने की दिशा में लगातार कदम बढ़ा रही है। हालांकि, यह बढ़ोतरी आम नागरिकों और बिल्डर्स के लिए आर्थिक रूप से भारी पड़ सकती है।
भोपाल और इंदौर में सर्वाधिक बढ़ोतरी का प्रस्ताव
भोपाल में जहां औसतन 14 फीसदी की दरों में बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है, वहीं इंदौर में यह आंकड़ा 30 फीसदी तक पहुंच सकता है। यह राज्य के अन्य जिलों की तुलना में कहीं अधिक है। गाइडलाइन की नई दरें सॉफ्टवेयर के माध्यम से जिलों से प्राप्त की जा रही हैं, और मूल्यांकन बोर्ड जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय लेगा।
अदृश्य उपबंधों से और महंगी हो रही है रजिस्ट्री
Expensive Property in MP का एक प्रमुख कारण गाइडलाइन दरों के साथ अदृश्य रूप से लागू किए जाने वाले उपबंध हैं, जिन पर न तो कोई सार्वजनिक आपत्ति ली जाती है और न ही वर्षों से कोई बदलाव हुआ है। इन उपबंधों के कारण कृषि भूमि की रजिस्ट्री दोगुनी और फ्लैट की रजिस्ट्री डेढ़ गुनी तक महंगी हो गई है। प्रदेश में स्टांप शुल्क पहले से ही देश में सबसे अधिक है।
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वैज्ञानिक आधार पर हो मूल्य निर्धारण: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में एमपी सड़क विकास निगम बनाम विंसेंट डेनियल केस की सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि सर्किल रेट या गाइडलाइन रेट को वैज्ञानिक, विशेषज्ञ-आधारित और वास्तविक बाजार मूल्य को प्रतिबिंबित करने वाली पद्धति से तय किया जाना चाहिए। कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई दरें उपयुक्त नहीं हैं।
बिल्डर्स की नाराजगी और प्रतिक्रिया
क्रेडाई भोपाल (CREDAI Bhopal) के अध्यक्ष मनोज मीक ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत करते हुए कहा कि क्रेडाई लंबे समय से यह मांग करता आ रहा है कि दरें वैज्ञानिक तरीके से तय होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि गाइडलाइन में वृद्धि और उपबंधों के कारण रजिस्ट्री की लागत में अत्यधिक वृद्धि हो रही है, और सरकार को इसमें सुधार करना चाहिए।
प्रदेश अध्यक्ष धीरेश खरे ने भी कहा कि हर बार आपत्ति जताने के बावजूद सुनवाई नहीं होती। गाइडलाइन दरें बढ़ाने से पहले सरकार को वैज्ञानिक विश्लेषण और जन सुनवाई करनी चाहिए।
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जिलों की मूल्यांकन समितियों की भूमिका
प्रदेश के हर जिले में मूल्यांकन समितियों का गठन किया गया है, जो साल भर में हुई रजिस्ट्री और क्षेत्रीय संपत्तियों के बाजार मूल्य का विश्लेषण करके गाइडलाइन दरों का प्रस्ताव तैयार करती हैं। इन प्रस्तावों को सॉफ्टवेयर के माध्यम से केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड को भेजा जाता है, जहां अंतिम निर्णय लिया जाता है।
किसानों के लिए नई सुविधा 1 अप्रैल से
एक ओर जहां प्रॉपर्टी की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, वहीं राज्य सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए 1 अप्रैल से एक नई सुविधा लागू करने की घोषणा की है। इसके तहत अब एमपी के किसान देशभर में कहीं भी अपनी उपज बेच सकेंगे, जिससे उन्हें बेहतर मूल्य प्राप्त हो सकेगा।