
गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट ने पासपोर्ट पुलिस वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को आम जनता के लिए और भी सुगम बना दिया है। अब लोगों को पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए थाने के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि बीट कॉन्स्टेबल स्वयं आवेदक के घर जाकर वेरिफिकेशन करेंगे। यह व्यवस्था जिले के सभी थानों में लागू कर दी गई है और इससे न केवल लोगों का समय बचेगा, बल्कि भ्रष्टाचार पर भी लगाम लग सकेगी।
घर पहुंचेगा बीट कॉन्स्टेबल, मौके पर ही दस्तावेज लेकर कराएगा हस्ताक्षर
पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए अब एक नई प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसके अंतर्गत संबंधित बीट का कॉन्स्टेबल आवेदक के पते पर जाएगा और वहीं पर दस्तावेजों की जांच कर हस्ताक्षर कराएगा। इसके बाद वह वेरिफाइड दस्तावेज थाने में जमा करेगा। इस पहल के पीछे उद्देश्य है कि जनता को अनावश्यक रूप से थाने बुलाकर होने वाली परेशानी से राहत दी जाए।
जिले भर में लागू हुई नई व्यवस्था
गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट ने इस व्यवस्था को पूरे जिले में लागू कर दिया है। मोदीनगर, मुरादनगर, निवाड़ी और भोजपुर थानों में यह प्रक्रिया पूरी तरह से सक्रिय हो चुकी है। यहां प्रतिदिन औसतन 30 से 40 पासपोर्ट वेरिफिकेशन आते हैं, जिन्हें अब नए तरीके से निपटाया जा रहा है। इससे आम जनता को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
पहले क्या था नियम?
पुरानी प्रक्रिया में आवेदक को पुलिसकर्मी द्वारा फोन करके थाने बुलाया जाता था। वहां जाकर उन्हें अपने दस्तावेज, पहचान पत्र और फोटो आदि जमा कराने होते थे। यह प्रक्रिया न केवल समय लेने वाली थी बल्कि कई बार अनावश्यक देरी और असुविधा का कारण भी बनती थी।
अवैध उगाही पर लगेगा अंकुश
पुरानी प्रक्रिया के दौरान कई बार यह आरोप लगे थे कि पासपोर्ट वेरिफिकेशन के नाम पर आवेदकों से 500 से 1000 रुपये तक की अवैध उगाही की जाती थी। इस कारण पुलिस की छवि पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े हुए थे। लेकिन अब, जब बीट कॉन्स्टेबल सीधे घर जाकर वेरिफिकेशन करेंगे, तो इस तरह की गतिविधियों पर भी अंकुश लगेगा।
बीट कॉन्स्टेबल को सौंपी गई जिम्मेदारी
इस नई प्रणाली में प्रत्येक बीट कॉन्स्टेबल को उनके क्षेत्र में आने वाले पासपोर्ट वेरिफिकेशन की जिम्मेदारी दी गई है। वह थाने से वेरिफिकेशन फॉर्म लेकर सीधे आवेदक के घर पहुंचते हैं, दस्तावेजों की जांच करते हैं और जरूरी हस्ताक्षर लेकर दस्तावेजों को थाने में जमा कर देते हैं। इससे कार्य में पारदर्शिता भी आएगी और समय की भी बचत होगी।
क्राइम मीटिंग में हुआ था विचार-विमर्श
इस बदलाव के पीछे एक अहम कारण यह भी था कि हाल ही में पुलिस कमिश्नरेट की क्राइम मीटिंग में इस विषय पर गंभीरता से चर्चा की गई थी। नागरिकों की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया कि प्रक्रिया को जनता के अनुकूल बनाया जाए और किसी भी प्रकार की पुलिस उगाही को रोका जाए।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
मोदीनगर एसीपी ज्ञान प्रकाश राय ने इस संदर्भ में बताया कि पासपोर्ट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को बीट कॉन्स्टेबल के ज़रिये घर-घर जाकर संपन्न कराने का काम शुरू हो चुका है। उन्होंने बताया कि सभी थाना प्रभारियों को इसके निर्देश दिए जा चुके हैं और व्यवस्था को पूरे जिले में समान रूप से लागू किया जा रहा है।
समय और संसाधनों की बचत
नई व्यवस्था से पुलिस विभाग के संसाधनों का भी बेहतर उपयोग हो पाएगा। एक ओर जहां जनता का समय बचेगा, वहीं दूसरी ओर पुलिसकर्मियों पर थाने में भीड़ प्रबंधन का दबाव भी कम होगा। इसके साथ ही, डिजिटल रिकॉर्डिंग और निगरानी के माध्यम से कार्य प्रणाली और भी पारदर्शी हो जाएगी।