
केंद्र सरकार ने प्याज (Onion) पर लगाए गए 20% निर्यात शुल्क को हटाने का फैसला लिया है। यह निर्णय 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। सरकार का कहना है कि यह कदम किसानों को बेहतर दाम दिलाने और घरेलू बाजार में कीमतों को स्थिर बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सिफारिश पर राजस्व विभाग ने शनिवार को अधिसूचना जारी कर दी।
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किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने की पहल
सरकार का उद्देश्य इस फैसले के ज़रिए किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाना है। रबी सीजन में प्याज की बंपर आवक से थोक और खुदरा बाजार में प्याज की कीमतों में तेज़ गिरावट देखी गई। इसे ध्यान में रखते हुए निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए शुल्क को समाप्त किया गया है, ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके।
रबी प्याज का रिकॉर्ड उत्पादन
कृषि मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2025 में रबी प्याज का उत्पादन 227 लाख टन रहने की संभावना है, जो पिछले वर्ष के 192 लाख टन से करीब 18% अधिक है। भारत में प्याज उत्पादन का 70 से 75% हिस्सा रबी फसल से आता है, जिससे अक्टूबर-नवंबर तक बाजार में पर्याप्त आपूर्ति बनी रहती है।
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निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि
सितंबर 2024 में निर्यात शुल्क लगाए जाने के बावजूद भारत से 18 मार्च 2025 तक कुल 11.65 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया। सितंबर में यह आंकड़ा 0.72 लाख टन था, जो जनवरी 2025 में बढ़कर 1.85 लाख टन तक पहुंच गया। इससे साफ है कि वैश्विक बाजार में भारतीय प्याज की मांग बनी हुई है।
मंडियों में प्याज की गिरती कीमतें
महाराष्ट्र के प्रमुख प्याज बाजार जैसे लासलगांव और पिंपलगांव में रबी फसल की भारी आवक के कारण कीमतों में गिरावट देखी गई। 21 मार्च 2025 को लासलगांव मंडी में प्याज की कीमत 1,330 रुपये प्रति क्विंटल और पिंपलगांव में 1,325 रुपये प्रति क्विंटल रही। अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमतों में पिछले एक महीने में 10% की गिरावट आई, वहीं थोक बाजार में यह गिरावट 39% तक पहुंच गई।
घरेलू बाजार पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि प्याज पर निर्यात शुल्क हटाने से विदेशों में मांग बढ़ेगी, जिससे घरेलू बाजार में कुछ हद तक कीमतों में सुधार हो सकता है। हालांकि, उत्पादन बहुत अधिक होने से यह बढ़ोतरी सीमित रहने की संभावना है। सरकार भी चाहती है कि किसान और उपभोक्ता दोनों को संतुलित लाभ मिले।
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पहले भी लगाए गए थे निर्यात प्रतिबंध
प्याज की घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने 8 दिसंबर 2023 से 3 मई 2024 तक प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद सितंबर 2024 में 20% निर्यात शुल्क लगाया गया। अब जब उत्पादन प्रचुर मात्रा में है, तो इस शुल्क को हटा लिया गया है, जिससे किसानों को निर्यात के माध्यम से बेहतर मूल्य प्राप्त हो सकेगा।
आगे क्या होगा?
विशेषज्ञों के अनुसार, प्याज की अधिक आपूर्ति के कारण कीमतों में गिरावट का दौर अगले कुछ महीनों तक जारी रह सकता है। लेकिन निर्यात को फिर से गति मिलने से घरेलू बाजार में संतुलन बने रहने की संभावना है। सरकार की कोशिश है कि कृषि उत्पादों में स्थिरता बनी रहे और किसान लाभान्वित हों।