
नई दिल्ली। हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है और भारतीय रेलवे (Indian Railways) भी इससे अछूता नहीं है। रेलवे में महिला कर्मचारियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और बीते 10 वर्षों में महिला लोको पायलटों (Female Loco Pilot) की संख्या में लगभग पांच गुना इजाफा हुआ है। यह बढ़ोतरी महिलाओं की बढ़ती हिस्सेदारी और समाज में टूटती रूढ़ियों को दर्शाती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 तक भारतीय रेलवे में करीब 1,828 महिला लोको पायलट काम कर रही हैं, जबकि 2014 में यह संख्या मात्र 371 थी।
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रेलवे में महिला कर्मचारियों की कुल संख्या
भारतीय रेलवे में इस समय 1 लाख महिला कर्मचारी कार्यरत हैं, जो कुल वर्कफोर्स का लगभग 8.2% हैं। महिलाओं ने लोको पायलट, स्टेशन मास्टर, ट्रैकमैन, सिग्नल मेंटेनेंस, गार्ड और गैंगमैन जैसे तकनीकी और जिम्मेदार पदों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। पिछले 10 वर्षों में महिला स्टेशन मास्टरों की संख्या भी लगभग पांच गुना बढ़कर 1,828 हो गई है।
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यूपी से सबसे ज्यादा महिला लोको पायलट
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश (UP) महिला लोको पायलटों की संख्या में अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। यूपी में 2014 में महिला लोको पायलट की संख्या मात्र 36 थी, जो अब बढ़कर 222 हो गई है। इसी तरह, तेलंगाना में यह संख्या 13 से बढ़कर 196 और तमिलनाडु में 39 से बढ़कर 180 हो गई है।
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रेलवे का 2025-26 तक 100% इलेक्ट्रिफिकेशन का लक्ष्य
भारतीय रेलवे 2025-26 तक 100% इलेक्ट्रिफिकेशन (Electrification) का लक्ष्य लेकर चल रहा है। सरकार का उद्देश्य भारतीय रेलवे को ‘नेट जीरो’ कार्बन उत्सर्जन (Net Zero Carbon Emission) की ओर ले जाना है। इसके लिए रेलवे ने अब तक 4,260 मेगावाट (स्थापित) सौर (Solar Energy) और 3,427 मेगावाट (स्थापित) पवन ऊर्जा (Wind Energy) के लिए समझौता किया है। इसके अतिरिक्त, रेलवे पहले ही 1,500 मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के लिए समझौता कर चुका है।
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2030 तक भारतीय रेलवे की ट्रैक्शन पावर की जरूरत 10,000 मेगावाट
रेलवे अपने सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के साथ-साथ डेवलपर्स के साथ पीपीए (Power Purchase Agreement – PPA) व्यवस्था के तहत सौर ऊर्जा भी प्राप्त कर रहा है। केंद्रीय रेल और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, अब तक रेलवे ने 4,260 मेगावाट स्थापित सौर क्षमता और 3,427 मेगावाट स्थापित पवन क्षमता प्राप्त की है। 2030 तक, भारतीय रेलवे की ट्रैक्शन पावर की आवश्यकता 10,000 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है।