
10 रुपए के सिक्के (10 Rupee Coin) को लेकर लोगों में लंबे समय से भ्रम बना हुआ है। बाजार में आज भी कई ऐसे मौके देखने को मिलते हैं, जब दुकानदार या ग्राहक 10 रुपए के सिक्के को लेने से इनकार कर देते हैं। इस असमंजस की स्थिति को देखते हुए सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाते रहे हैं। इसके बावजूद बहुत से लोग आज भी इस भ्रम में जी रहे हैं कि केवल एक खास डिज़ाइन का सिक्का ही असली है, बाकी नकली।
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10 रुपए के सिक्कों को लेकर फैली गलतफहमी को दूर करने के लिए यह जरूरी है कि लोग सही जानकारी रखें और आरबीआई की आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करें। 14 अलग-अलग डिज़ाइन वाले सिक्के वर्तमान में चलन में हैं और सभी वैध हैं। ऐसे में दुकानदारों या व्यापारियों को चाहिए कि वे किसी भी वैध सिक्के को लेने से इनकार न करें। इसी से एक स्वस्थ और जागरूक आर्थिक प्रणाली विकसित हो सकती है।
10 रुपए के सिक्कों के 14 डिज़ाइन जारी, सभी वैध
RBI के अनुसार, अब तक 10 रुपए के कुल 14 अलग-अलग डिज़ाइन के सिक्के जारी किए जा चुके हैं। इन सभी सिक्कों को भारत सरकार ने अधिकृत रूप से ढाला है और भारतीय रिजर्व बैंक ने जारी किया है। इन सिक्कों में भले ही डिजाइन, आकृति या मोटाई में थोड़ा अंतर हो, लेकिन सभी कानूनी रूप से मान्य हैं और इन्हें किसी भी लेन-देन में उपयोग किया जा सकता है।
10 लाइन बनाम 15 लाइन वाला सिक्का: भ्रम की जड़
कई लोगों का मानना है कि जिस 10 रुपए के सिक्के पर किनारे पर 10 लाइनें बनी होती हैं, वही असली होता है, जबकि 15 लाइन वाला सिक्का नकली होता है। इस गलत धारणा के चलते कई दुकानदार 15 लाइन वाले सिक्कों को लेने से मना कर देते हैं। लेकिन आरबीआई ने स्पष्ट कर दिया है कि यह पूरी तरह से गलतफहमी है। 10 लाइन वाला हो या 15 लाइन वाला, दोनों प्रकार के सिक्के पूरी तरह वैध और असली हैं।
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आरबीआई ने दी साफ जानकारी
भारतीय रिजर्व बैंक ने कई बार सार्वजनिक तौर पर बयान जारी कर यह साफ किया है कि 10 रुपए के सभी डिज़ाइन वाले सिक्के लीगल टेंडर हैं। इसका मतलब है कि सभी सिक्कों को कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त है और कोई भी व्यक्ति या संस्था इन सिक्कों को लेने से इनकार नहीं कर सकती। आरबीआई ने जनता से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और सभी वैध सिक्कों को स्वीकार करें।
सिक्कों के आकार और डिज़ाइन में विविधता क्यों?
10 रुपए के सिक्कों के डिज़ाइन में बदलाव सुरक्षा कारणों, विशेष अवसरों और पहचान में आसानी जैसे कारणों से किए जाते हैं। समय-समय पर सरकार विशेष थीम या जागरूकता अभियानों के तहत भी नए डिजाइन वाले सिक्के जारी करती है। उदाहरण के तौर पर कुछ सिक्कों पर महात्मा गांधी की तस्वीर होती है, तो कुछ पर स्वच्छ भारत मिशन या अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों का चिन्ह होता है।
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सिक्कों को न स्वीकार करना है गैर-कानूनी
RBI के अनुसार, अगर कोई दुकानदार या व्यापारी 10 रुपए के वैध सिक्के को लेने से इनकार करता है, तो यह नियमों का उल्लंघन है। यह एक तरह से लीगल टेंडर का अपमान है। ऐसे मामलों में लोग संबंधित अधिकारियों से शिकायत भी कर सकते हैं। आम जनता को चाहिए कि वे इस विषय में जागरूक हों और किसी भी प्रकार के भ्रम से बचें।
लोगों को क्यों होता है शक?
सिक्कों के डिज़ाइन में विविधता, आकार में मामूली फर्क और किनारे की लाइनों की संख्या को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। सोशल मीडिया पर फैलती अफवाहें भी इस भ्रम को और गहरा करती हैं। कई बार नकली सिक्कों की अफवाहें वायरल हो जाती हैं, जिनमें कहा जाता है कि 15 लाइन वाला सिक्का नकली है। लेकिन आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई आधिकारिक मानक नहीं है जिससे यह तय किया जाए कि कितनी लाइन वाला सिक्का असली है।
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भविष्य में क्या करना चाहिए?
RBI का कहना है कि जनता को चाहिए कि वे किसी भी सिक्के को उसके डिज़ाइन के आधार पर न परखें, बल्कि केवल यह देखें कि वह भारत सरकार द्वारा अधिकृत और RBI द्वारा जारी है या नहीं। सभी सिक्कों पर “भारत” और “India” लिखा होता है, साथ ही किसी न किसी चिन्ह के साथ उसका मूल्य भी अंकित होता है। अगर ये बातें मौजूद हैं, तो सिक्का वैध है और उसे नकारना गलत है।