
बिहार सरकार ने पान-तांती जाति को अनुसूचित जाति (एससी) का दर्जा दिलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल की है। यह पिटीशन जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के विरोध में है, जिसके बाद पान-तांती जाति को अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) में फिर से शामिल किया गया था। नीतीश सरकार ने इस फैसले को चुनौती देने का निर्णय लिया है, क्योंकि पान-तांती जाति के लोग लंबे समय से एससी के अधिकारों की मांग कर रहे हैं।
कोर्ट का जुलाई 2024 का फैसला ,पान-तांती जाति का रिव्यू पिटीशन
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2024 में बिहार सरकार के 9 साल पुराने निर्णय को निरस्त कर दिया था। इस फैसले के बाद, पान-तांती जाति को फिर से ईबीसी की श्रेणी में शामिल कर दिया गया था। यह निर्णय पान-तांती समुदाय के लिए एक झटका था, जो एससी के दर्जे की मांग कर रहे थे, ताकि वे सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण और अन्य अधिकारों का लाभ उठा सकें।
पान-तांती जाति का सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन
पान-तांती जाति को एससी का दर्जा दिलवाने की यह कानूनी लड़ाई लंबे समय से चल रही है। 2015 में बिहार सरकार ने पान-तांती जाति को एससी का दर्जा देने का फैसला लिया था। इस निर्णय के बाद बिहार सरकार ने जाति के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को ध्यान में रखते हुए उनकी स्थिति सुधारने के लिए कई कदम उठाए थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को सही नहीं माना और उसे निरस्त कर दिया।
नीतीश सरकार का रिव्यू पिटीशन के जरिए उम्मीद
अब नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर की है, ताकि इस मुद्दे पर पुनः विचार किया जा सके। रिव्यू पिटीशन दाखिल करने के बाद, अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर फिर से सुनवाई की जाएगी। इस स्थिति को लेकर पान-तांती जाति के लोग और बिहार सरकार दोनों ही उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार उन्हें एससी का दर्जा मिल सकेगा।
पान-तांती जाति के लिए एससी का दर्जा क्यों जरूरी है?
नीतीश सरकार ने इस मुद्दे को लेकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है और इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सरकार का मानना है कि पान-तांती जाति का समाज में विशेष स्थान है और उन्हें एससी का दर्जा मिलने से उनके आर्थिक और सामाजिक हालात में सुधार होगा।
पान-तांती जाति के लोग मुख्य रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश में रहते हैं और उन्हें पारंपरिक रूप से समाज में एक निम्न श्रेणी का दर्जा प्राप्त है। इस समुदाय के लोग मुख्यतः पान बनाने का काम करते हैं, और कई जगहों पर इनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब मानी जाती है।
एससी का दर्जा मिलने से पान-तांती जाति को क्या लाभ होगा?
एससी का दर्जा मिलने से पान-तांती जाति को न केवल सरकारी नौकरी में आरक्षण मिलेगा, बल्कि उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक योजनाओं का भी लाभ मिल सकेगा। साथ ही, इस जाति के लोगों को अपनी स्थिति सुधारने का मौका मिलेगा, जो लंबे समय से विभिन्न सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
नीतीश सरकार का सामाजिक न्याय की दिशा में कदम
सरकार की ओर से यह कदम सामाजिक न्याय की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने हमेशा सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने की कोशिश की है, और यह कदम उसी दिशा में एक और पहल है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का क्या होगा असर?
अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला देता है और क्या पान-तांती जाति को एससी का दर्जा मिलता है या नहीं। लेकिन यह कानूनी लड़ाई पान-तांती समुदाय के लिए उम्मीद की किरण है, जो अब तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं।