
आजकल बिजली बिल में हो रही बढ़ोतरी से हर कोई परेशान है। ऐसे में लोग अपने बिजली खर्च को कम करने के लिए कई उपाय आजमाते हैं। कुछ लोग आधुनिक तकनीक और रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy आधारित विकल्प अपनाकर बिजली की खपत को कम करने की दिशा में प्रयासरत हैं, वहीं कुछ लोग शॉर्टकट अपनाकर बिजली मीटर के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश करते हैं। इन्हीं में से एक प्रसिद्ध लेकिन मिथक तरीका है – बिजली मीटर पर चुंबक लगाना।
हालांकि यह तरीका लोगों के बीच लोकप्रिय है, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, और यह गैरकानूनी भी है। आइए जानते हैं इस पूरे मामले की सच्चाई, इसके पीछे की तकनीक, कानूनी पहलू और संभावित खतरों के बारे में।
क्या सच में चुंबक से बिजली मीटर की रीडिंग कम होती है?
बहुत से लोग मानते हैं कि यदि वे बिजली मीटर के पास एक मजबूत चुंबक लगा दें तो मीटर की रीडिंग धीमी हो जाएगी और उनका बिजली बिल कम आना शुरू हो जाएगा। यह धारणा पुराने समय के एनालॉग मीटरों पर आधारित है, जिन पर वास्तव में चुंबक का आंशिक प्रभाव देखा गया था।
लेकिन अब अधिकतर घरों में डिजिटल बिजली मीटर लगाए जा रहे हैं जो आधुनिक तकनीक पर आधारित हैं और इनमें चुंबक के प्रभाव को निष्क्रिय करने के लिए सुरक्षा फीचर्स पहले से मौजूद होते हैं। इन मीटरों में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड के साथ साथ सेंसर आधारित मैकेनिज्म होता है, जो चुंबक के प्रभाव को पहचानकर उसे नजरअंदाज कर देता है।
इसलिए यह कहना कि चुंबक से डिजिटल मीटर की रीडिंग कम की जा सकती है, पूरी तरह गलत है।
चुंबक लगाना क्यों है गैरकानूनी तरीका?
बिजली मीटर पर चुंबक लगाना केवल एक मिथक ही नहीं, बल्कि गैरकानूनी कार्य भी है। सरकार और बिजली कंपनियों द्वारा इसे बिजली चोरी की श्रेणी में रखा गया है।
यदि कोई उपभोक्ता बिजली मीटर के साथ छेड़छाड़ करता है, चाहे वह चुंबक लगाकर हो या किसी अन्य तकनीकी उपाय से, तो इसे आपराधिक कृत्य माना जाता है। ऐसे मामलों में बिजली विभाग के पास विशेष उपकरण होते हैं जिनसे मीटर से की गई किसी भी तरह की छेड़छाड़ का तुरंत पता लगाया जा सकता है।
अगर उपभोक्ता पकड़ा जाता है, तो उसे छह महीने से लेकर पांच साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। कई बार बिजली निगम दोनों सजाएं एक साथ लागू करता है।
तकनीकी पहलू: चुंबक बनाम डिजिटल मीटर
डिजिटल मीटर एक बहुत ही संवेदनशील और एडवांस डिवाइस होता है, जो आपकी सटीक बिजली खपत को मापता है। ये मीटर पुराने यांत्रिक मीटरों की तुलना में अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय होते हैं।
इन मीटरों में चुंबक के प्रभाव से सुरक्षा के लिए कई परतों वाली तकनीक लगाई जाती है। चुंबक की मैग्नेटिक फील्ड और डिजिटल मीटर के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड के बीच कोई भी प्रभावी संपर्क नहीं हो पाता, जिससे चुंबक बेअसर हो जाता है।
इतना ही नहीं, यदि आप उच्च शक्ति वाले इंडस्ट्रियल ग्रेड चुंबक का प्रयोग करते हैं तो वह मीटर को तो प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन आपके घर में लगे अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन आदि को नुकसान पहुंचा सकता है।
छेड़छाड़ से होने वाले संभावित खतरे
अगर कोई व्यक्ति बिजली मीटर के साथ छेड़छाड़ करता है तो इससे केवल कानून का उल्लंघन नहीं होता, बल्कि वह अपने जीवन और सम्पत्ति को भी खतरे में डालता है।
चुंबक या अन्य माध्यम से मीटर के साथ छेड़छाड़ करने पर बिजली की सप्लाई में गड़बड़ी आ सकती है, जिससे शॉर्ट-सर्किट या आग लगने की घटनाएं हो सकती हैं।
इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर उच्च मैग्नेटिक फील्ड का असर उनकी कार्यक्षमता को भी खत्म कर सकता है। इससे आपकी घरेलू सुरक्षा व्यवस्था, वाई-फाई नेटवर्क, मोबाइल नेटवर्क, और अन्य स्मार्ट उपकरणों में समस्या उत्पन्न हो सकती है।
क्या है सही उपाय बिजली बिल कम करने का?
बिजली बिल कम करने के लिए सबसे बेहतर और कानूनी तरीका है – ऊर्जा दक्षता वाले उपकरणों का उपयोग, सोलर पैनल जैसी रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy तकनीकों को अपनाना और बिजली की खपत में समझदारी लाना।
एलईडी बल्ब, 5 स्टार रेटिंग वाले उपकरण, समय पर बिजली बंद करना, और घर में नेचुरल वेंटिलेशन बढ़ाना जैसे उपायों से आप न केवल बिजली बचा सकते हैं, बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा कर सकते हैं।