
भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर हालात तनावपूर्ण हो चले हैं। युद्ध शुरू होने के कितने दिन बाद दखल देता है यूनाइटेड नेशन (United Nations)—यह सवाल अब तेजी से चर्चा में है, खासकर तब जब दोनों देशों के बीच रिश्तों में तल्खी और धमकियों का आदान-प्रदान तेज हो चुका है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से आक्रामक रुख देखने को मिला है, जिस पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया भी कम तीखी नहीं रही। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र (UN) की भूमिका और उसकी समयसीमा को लेकर लोगों में जिज्ञासा बढ़ गई है।
भारत-पाकिस्तान तनाव: युद्ध के हालात के संकेत
पिछले कुछ समय से भारत और पाकिस्तान के बीच शब्दों की जंग तेज हो चुकी है। पाकिस्तान के रक्षामंत्री द्वारा परमाणु हथियारों की धमकी दिए जाने के बाद स्थिति और भी गंभीर हो गई है। उन्होंने यहां तक कहा है कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल तब करेगा जब उसके अस्तित्व को सीधा खतरा महसूस होगा। भारत ने भी इस पूरे घटनाक्रम पर सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पाबंदियां लगा दी हैं।
भारत द्वारा लिए गए कड़े फैसलों और पाकिस्तान की ओर से दी जा रही उग्र प्रतिक्रियाओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी सतर्क कर दिया है। इसी संदर्भ में यह जानना आवश्यक है कि यदि इन दोनों देशों के बीच युद्ध होता है तो United Nations कब और कैसे दखल देता है।
युद्ध के दौरान United Nations की भूमिका
संयुक्त राष्ट्र (UN) की स्थापना 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के भयावह परिणामों के बाद की गई थी। इसका प्रमुख उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। जब भी दो देशों के बीच युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है, तो UN की कोशिश रहती है कि बातचीत और मध्यस्थता के जरिए उस युद्ध को टाल दिया जाए या जल्द से जल्द समाप्त किया जाए।
हालांकि, यह आवश्यक नहीं है कि युद्ध शुरू होते ही संयुक्त राष्ट्र तुरंत हस्तक्षेप करे। उसकी कार्यप्रणाली कई कारकों पर आधारित होती है—जैसे कि युद्ध की गंभीरता, उसमें शामिल देशों की स्थिति, मानवीय संकट की तीव्रता और सबसे अहम, सदस्य देशों की सहमति।
United Nations का हस्तक्षेप कितने समय में होता है?
युद्ध शुरू होने के कितने दिन बाद दखल देता है यूनाइटेड नेशन—इसका कोई निश्चित समय तय नहीं है। यह इस पर निर्भर करता है कि हालात कितने भयावह हैं और क्या वहां मानवीय सहायता की तुरंत आवश्यकता है। कई बार United Nations युद्ध शुरू होते ही मानवीय आधार पर सहायता भेज देता है, जिसमें खाना, दवा, जल और शरण जैसी बुनियादी सेवाएं शामिल होती हैं।
इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद (UN Security Council), महासभा (General Assembly) और महासचिव (Secretary-General) की सामूहिक भूमिका के तहत स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है और फिर आवश्यक कदम उठाए जाते हैं। यदि लगता है कि हालात नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं, तो शांति मिशन (Peacekeeping Mission) तक भेजे जा सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर और युद्ध की वैधता
United Nations चार्टर के तहत, कोई भी देश तभी सैन्य कार्रवाई कर सकता है जब वह आत्मरक्षा में हो या फिर संयुक्त राष्ट्र की अनुमति से। अगर कोई देश एकतरफा हमला करता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन माना जाता है। ऐसे में UN तुरंत कार्रवाई कर सकता है, लेकिन इसकी प्रक्रिया में आमतौर पर कुछ दिन लग जाते हैं, क्योंकि इसे सुरक्षा परिषद में पास कराना होता है।
भारत-पाकिस्तान जैसे मामलों में, जहां दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं और स्थिति बेहद संवेदनशील होती है, वहां संयुक्त राष्ट्र अतिरिक्त सतर्कता बरतता है। यदि दोनों देश सहमत हों, तो UN उनके बीच मध्यस्थता की भूमिका निभाता है। यदि सहमति नहीं बनती, तो महासचिव विशेष दूत नियुक्त कर सकते हैं जो वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं।
शांति बहाली के प्रयास और मानवीय सहायता
जैसे ही युद्ध शुरू होता है और यदि उसमें आम नागरिकों की जान को खतरा होता है, तो संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां तुरंत सक्रिय हो जाती हैं। विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP), यूनिसेफ (UNICEF), WHO जैसी संस्थाएं प्रभावित इलाकों में सहायता भेजती हैं। शरणार्थियों की स्थिति को देखते हुए UNHCR भी युद्ध क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाता है।
इस सब के साथ-साथ, United Nations यह भी सुनिश्चित करता है कि युद्धबंदी (Ceasefire) की दिशा में प्रयास किए जाएं और सभी पक्षों को वार्ता की मेज पर लाया जाए।