भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सरनेम कौन-सा है? जानिए टॉप नाम की लिस्ट – Most Common Surname in India

क्या आपका सरनेम भी इस लिस्ट में शामिल है? भारत में करोड़ों लोगों के नामों में एक चीज़ कॉमन है – उनका सरनेम! जानिए वो टॉप सरनेम जो सबसे ज़्यादा बार इस्तेमाल किए जाते हैं और जिनसे जुड़ी है जाति, क्षेत्र और सामाजिक पहचान की दिलचस्प कहानियां। पूरी लिस्ट देखने से पहले अनुमान लगाइए

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Written byRohit Kumar

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भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सरनेम कौन-सा है? जानिए टॉप नाम की लिस्ट – Most Common Surname in India
भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सरनेम कौन-सा है? जानिए टॉप नाम की लिस्ट – Most Common Surname in India

भारत एक विशाल और विविधता से भरा देश है, जहां भाषाएं, धर्म, रीति-रिवाज और नामों की परंपरा बेहद विविध है। ऐसे में भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सरनेम (Most Common Surname In India) क्या है, यह सवाल कई बार सामने आता है। सरनेम या उपनाम व्यक्ति की जाति, समुदाय, स्थान या कभी-कभी पेशे से जुड़ा होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि भारत में सबसे आम सरनेम कौन-से हैं और ये किस आधार पर सबसे ज्यादा प्रचलित माने गए हैं।

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भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सरनेम ‘पटेल’ है, जो न केवल एक राज्य या क्षेत्र तक सीमित है, बल्कि इसकी उपस्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैली है। इसके बाद ‘शर्मा’, ‘वर्मा’, ‘सिंह’, और ‘कुमार’ जैसे नाम आते हैं जो विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों में अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं। सरनेम भारत की सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक संरचना का अहम हिस्सा हैं, और इनसे जुड़ी जानकारी हमारे देश की सामाजिक परतों को समझने में मदद करती है।

क्यों खास हैं सरनेम?

भारत में सरनेम का इस्तेमाल केवल पहचान के लिए नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति को दर्शाने के लिए भी किया जाता है। एक ही सरनेम अलग-अलग राज्यों में अलग अर्थ रख सकता है। उदाहरण के लिए, ‘शर्मा’ एक आम ब्राह्मण उपनाम है जो उत्तर भारत में प्रमुख है, जबकि ‘पटेल’ विशेष रूप से गुजरात और आसपास के राज्यों में प्रचलित है।

सरनेम जातीय पहचान के साथ-साथ कई बार राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रभाव का भी प्रतीक होते हैं। कई क्षेत्रों में सरनेम को देखकर ही किसी व्यक्ति के सामाजिक दर्जे या पारिवारिक इतिहास का अनुमान लगाया जा सकता है।

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सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सरनेम – ‘पटेल’ (Patel)

हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट्स और सर्वे के अनुसार, भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सरनेम ‘पटेल’ (Patel) है। यह सरनेम खास तौर पर गुजरात और अन्य पश्चिमी राज्यों में प्रमुखता से देखने को मिलता है। ‘पटेल’ उपनाम पारंपरिक रूप से एक जमींदार या ग्राम प्रधान के रूप में जाना जाता है, लेकिन आज के समय में यह कई व्यवसायों और क्षेत्रों में अग्रणी समुदायों में आता है।

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‘पटेल’ सरनेम के साथ बड़ी संख्या में लोग प्रवासी भारतीय भी हैं, विशेष रूप से अमेरिका और ब्रिटेन में। इसकी व्यापकता और वैश्विक उपस्थिति इसे भारत का सबसे आम सरनेम बनाती है।

अन्य प्रमुख उपनाम जो आम तौर पर इस्तेमाल होते हैं

‘पटेल’ के बाद जिन उपनामों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है, उनमें शामिल हैं:

  • शर्मा (Sharma) – यह उपनाम उत्तर भारत में ब्राह्मण समुदाय से जुड़ा है। शिक्षा और प्रशासन के क्षेत्र में यह सरनेम आम तौर पर देखने को मिलता है।
  • वर्मा (Verma) – यह सरनेम मध्य भारत में बहुत आम है और आमतौर पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से जुड़ा होता है।
  • सिंह (Singh) – यह उपनाम व्यापक रूप से उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और पंजाब में इस्तेमाल होता है। ‘सिंह’ का अर्थ होता है ‘शेर’ और यह उपनाम खासतौर पर क्षत्रिय और सिख समुदाय में प्रचलित है।
  • कुमार (Kumar) – यह उपनाम आधुनिक समय में एक सामान्य पहचान के रूप में अपनाया जाता है, और यह जाति-निरपेक्ष भी माना जाता है।
  • दास (Das) – यह उपनाम विशेष रूप से बंगाल, ओडिशा और असम में प्रचलित है, और अक्सर धार्मिक पृष्ठभूमि से जुड़ा होता है।

क्षेत्रीय विविधता और सांस्कृतिक पहचान

भारत की सांस्कृतिक विविधता सरनेम्स में भी झलकती है। उदाहरण के लिए:

  • गौड़ा (Gowda) – कर्नाटक में एक सामान्य उपनाम है, जो विशेष रूप से लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों से जुड़ा है।
  • नायर (Nair) – केरल में यह उपनाम ऊँचे सामाजिक वर्ग के संकेत के रूप में देखा जाता है।
  • राव (Rao) – महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में प्रचलित है और यह प्रशासनिक या पेशेवर पहचान के तौर पर इस्तेमाल होता है।

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डेटा के आधार पर क्यों ‘पटेल’ सबसे आम सरनेम है?

जनगणना, मतदाता सूची और अन्य सरकारी आंकड़ों के अनुसार, ‘पटेल’ सरनेम वाले लोगों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है। इस उपनाम से जुड़े समुदाय की जनसंख्या गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बहुत बड़ी है। साथ ही, इस नाम की वैश्विक उपस्थिति और राजनीतिक-सामाजिक सक्रियता भी इसे सबसे प्रमुख बनाती है।

क्या बदल रहे हैं सरनेम के चलन?

आज के युग में कई लोग सरनेम का प्रयोग व्यक्तिगत पसंद और सामाजिक सोच के आधार पर कर रहे हैं। कुछ लोग जाति-व्यवस्था से हटकर अपने सरनेम बदलना पसंद करते हैं या केवल पहला नाम ही इस्तेमाल करते हैं। खासकर शहरी युवाओं में यह चलन तेजी से बढ़ा है। हालांकि पारंपरिक और पारिवारिक पहचान के तौर पर सरनेम की अहमियत अब भी बनी हुई है।

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