किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए बड़ा अपडेट! सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला, जानें क्या बदलेगा

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि मकान मालिक अपनी जरूरत के हिसाब से संपत्ति खाली करवा सकता है और किराएदार इस फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। यदि मकान मालिक की वास्तविक जरूरत साबित हो जाती है, तो उसे अन्य संपत्तियों का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। यह फैसला मकान मालिकों के अधिकारों को मजबूत करता है और किराएदारी से जुड़े विवादों को हल करने में सहायक होगा।

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Written byRohit Kumar

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किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए बड़ा अपडेट! सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला, जानें क्या बदलेगा
किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए बड़ा अपडेट

देशभर में लोग अपनी प्रॉपर्टी को किराए पर उठाते हैं, जिससे उन्हें हर महीने स्थायी आय होती है। लेकिन कई बार किराएदार मकान या व्यावसायिक परिसर को खाली करने से मना कर देते हैं, जिससे मकान मालिक को कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ता है। इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया है कि मकान मालिक यह तय करने के लिए स्वतंत्र है कि उसे अपनी जरूरत के लिए कौन सी संपत्ति खाली करवानी है। किराएदार इस आधार पर इंकार नहीं कर सकता कि मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां भी मौजूद हैं और वह उन्हें इस्तेमाल कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण अवलोकन

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “मकान मालिक की असली जरूरत के आधार पर किराएदार को परिसर खाली करने के संबंध में कानून पूरी तरह से स्पष्ट है। मकान खाली करवाने की इच्छा मात्र पर्याप्त नहीं होगी, बल्कि मकान मालिक की जरूरत वास्तविक होनी चाहिए। मकान मालिक ही यह तय करने के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति है कि उसे अपनी आवश्यकता के अनुसार कौन सी संपत्ति खाली करवानी चाहिए। किराएदार को इस निर्णय में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।”

मामले की पृष्ठभूमि

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सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें एक मकान मालिक ने दावा किया कि उसे अपने दो बेरोजगार बेटों के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन स्थापित करनी है और इस जरूरत के लिए उसे किराएदार से परिसर खाली करवाना आवश्यक है। हालांकि, निचली अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया था और हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा।

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जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस पर विचार किया और किराएदार के तर्क को अस्वीकार कर दिया। किराएदार ने अदालत में दलील दी थी कि मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां भी हैं और वह किसी अन्य जगह पर अल्ट्रासाउंड मशीन लगा सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय लेना मकान मालिक का अधिकार है, न कि किराएदार का।

सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यदि मकान मालिक की वास्तविक जरूरत साबित हो जाती है, तो भी किराएदार उसे किसी अन्य संपत्ति का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। इस मामले में भी मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां हो सकती हैं, लेकिन उसने अपने दो बेरोजगार बेटों के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन स्थापित करने के उद्देश्य से यह परिसर खाली करवाने का निर्णय लिया है, तो उसे अन्य किरायेदारों के खिलाफ ऐसे मुकदमे दर्ज कराने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। अदालत ने यह भी माना कि यह जगह अल्ट्रासाउंड मशीन स्थापित करने के लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह पहले से ही एक मेडिकल क्लिनिक और पैथोलॉजिकल सेंटर के बगल में स्थित है।

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