52 रुपये वाला पेट्रोल 94 रुपये में क्यों बिकता है? क्या है वजह जानिए

क्या आपको कभी ये जानने की जिज्ञासा हुई है कि पेट्रोल के असल मूल्य में इतना बड़ा फर्क क्यों होता है? सरकारी टैक्स, डीलर कमीशन, और अन्य खर्चों के कारण पेट्रोल की कीमतें इतनी बढ़ जाती हैं। जानिए इसके पीछे के सभी राज और क्या है असल कारण!

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Written byRohit Kumar

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पेट्रोल और डीजल की कीमतें आजकल हर किसी के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन चुकी हैं। जहां एक ओर पेट्रोल के दाम आसमान छूने लगे हैं, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ता अक्सर सोचते हैं कि आखिर एक लीटर पेट्रोल पर इतना फर्क क्यों आता है। क्या आपने कभी सोचा है कि 94 रुपए प्रति लीटर में बिकने वाला पेट्रोल असल में 52 रुपए प्रति लीटर के आसपास क्यों होता है? अगर नहीं, तो यह लेख आपके लिए है। आइए जानते हैं पेट्रोल की असल कीमत में कौन-कौन सी चीजें शामिल होती हैं और क्यों यह 94 रुपए के स्तर तक पहुंचती है।

52 रुपये वाला पेट्रोल 94 रुपये में क्यों बिकता है? क्या है वजह जानिए
52 रुपये वाला पेट्रोल 94 रुपये में क्यों बिकता है? क्या है वजह जानिए

दिल्ली में इस समय 1 लीटर पेट्रोल का उपभोक्ता मूल्य 94.77 रुपए है। हालांकि, इसके असल मूल्य की बात करें तो यह लगभग 52.83 रुपए प्रति लीटर है। यह फर्क क्या दर्शाता है? असल में पेट्रोल के दाम में कई तरह के टैक्स और शुल्क जुड़े होते हैं, जो इस कीमत को कई गुना बढ़ा देते हैं। तो आइए, हम जानते हैं कि यह अंतर आखिर क्यों आता है और इसके पीछे क्या कारण हैं।

पेट्रोल की असल कीमत में कौन-कौन से तत्व जुड़े होते हैं?

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पेट्रोल की असल कीमत में कई महत्वपूर्ण तत्व होते हैं, जिनमें से कुछ सीधे तौर पर उपभोक्ता की जेब पर असर डालते हैं। पेट्रोल का बेस प्राइस यानी असल कीमत लगभग 52.83 रुपए प्रति लीटर है। लेकिन जब हम पेट्रोल पंप पर जाते हैं तो हमें 94.77 रुपए चुकाने पड़ते हैं। इस अंतर का कारण कई प्रकार के शुल्क हैं जो इसके दामों में जुड़ते हैं।

सबसे पहला कारण है किराया। पेट्रोल के परिवहन में खर्च आता है, और दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल पर करीब 0.24 रुपए का किराया जुड़ता है। इसके बाद आता है एक्साइज ड्यूटी, जो कि पेट्रोल पर एक सरकारी टैक्स है। वर्तमान में यह टैक्स लगभग 21.90 रुपए प्रति लीटर है। फिर, पेट्रोल पंपों को डीलर कमीशन मिलता है, जो कि प्रति लीटर 4.40 रुपए है। साथ ही, VAT (Value Added Tax) भी पेट्रोल की कीमत में जुड़ता है, जो दिल्ली में लगभग 15.40 रुपए प्रति लीटर है। इन सभी शुल्कों का जोड़ पेट्रोल की कीमत को बहुत बढ़ा देता है।

डीजल की असल कीमत भी पेट्रोल से कम नहीं

जहां पेट्रोल की कीमत बढ़ी है, वहीं डीजल की कीमत भी आसमान छूने लगी है। दिल्ली में वर्तमान में एक लीटर डीजल की कीमत 87.67 रुपए है, लेकिन इसकी असल कीमत 53.75 रुपए प्रति लीटर है। डीजल पर भी वही शुल्क लागू होते हैं जो पेट्रोल पर होते हैं।

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डीजल के परिवहन के लिए किराया 0.26 रुपए प्रति लीटर है, डीलर कमीशन 3.03 रुपए प्रति लीटर है, एक्साइज ड्यूटी 17.80 रुपए प्रति लीटर है, और VAT 12.83 रुपए है। इन सभी शुल्कों के कारण डीजल की कीमत 87.67 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच जाती है।

सरकार के टैक्स और डीलर कमीशन का प्रभाव

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में सबसे बड़ा असर सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स और डीलर कमीशन का होता है। ये शुल्क हर उपभोक्ता पर लागू होते हैं, चाहे वह किसी भी राज्य में हो। सरकार इन शुल्कों को कई कारणों से लगाती है, जिनमें इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण, पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति को सुगम बनाना और अन्य आर्थिक कारण शामिल हैं।

इसी प्रकार, सरकार पेट्रोल और डीजल पर ज्यादा टैक्स लगाकर इनका उपयोग करती है। साथ ही, पेट्रोल और डीजल के दामों में अंतर भी सरकार की नीति का हिस्सा है। पेट्रोल पर अधिक टैक्स और डीजल पर कम टैक्स लगाने की नीति अपनाई जाती है, क्योंकि डीजल का ज्यादा उपयोग ट्रांसपोर्ट सेक्टर में होता है, और सरकार इसे नियंत्रित करके रखती है ताकि जनता को इससे अधिक राहत मिल सके।

पेट्रोल और डीजल के दामों में असमानता

भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में हमेशा अंतर रहा है, और यह अंतर मुख्य रूप से सरकार की नीतियों और पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए गए टैक्स के कारण है। पेट्रोल की कीमत डीजल से ज्यादा होती है, क्योंकि पेट्रोल पर अधिक एक्साइज ड्यूटी और VAT लगता है। वहीं, डीजल को ट्रांसपोर्ट सेक्टर में अधिक इस्तेमाल किया जाता है, और सरकार इसे किफायती रखने की कोशिश करती है ताकि आम आदमी को राहत मिल सके।

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