New Traffic Challan Rule: ट्रैफिक नियमों पर सरकार का नया आदेश, चालान को लेकर बड़ा बदलाव

जालंधर RTO का बड़ा फैसला, 22,000 से अधिक चालान कोर्ट को सौंपे गए; ऑनलाइन चालान ही निपटाएगा विभाग, बाकी अब सीधे अदालत से होंगे नियंत्रित जानिए कैसे बदलेगा यह नया सिस्टम आम आदमी की जिंदगी।

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Written byRohit Kumar

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New Traffic Challan Rule: ट्रैफिक नियमों पर सरकार का नया आदेश, चालान को लेकर बड़ा बदलाव
New Traffic Challan Rule: ट्रैफिक नियमों पर सरकार का नया आदेश, चालान को लेकर बड़ा बदलाव

जालंधर (चोपड़ा): ट्रैफिक चालानों (Traffic Challans) से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे आम नागरिकों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। जिला रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) ने ट्रैफिक चालानों को लेकर एक अहम प्रशासनिक फैसला लिया है, जो न सिर्फ कामकाज को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि वर्षों से सक्रिय एजेंट माफिया पर भी लगाम लगाएगा। आर.टी.ओ. जालंधर (RTO Jalandhar) ने अब पुराने चालानों को निपटाने की जिम्मेदारी सीधे डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियल कोर्ट (District Judicial Court) को सौंप दी है। इस फैसले का असर आने वाले दिनों में पूरे सिस्टम पर गहराई से देखा जा सकेगा।

अब ट्रैफिक चालान भुगतने के लिए नहीं जाना पड़ेगा RTO ऑफिस

बीते कई महीनों से जालंधर स्थित RTO ऑफिस में ट्रैफिक चालान भुगतने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही थी। इससे न सिर्फ आम जनता को लंबा इंतजार करना पड़ रहा था बल्कि विभागीय स्टाफ की कार्यक्षमता पर भी असर पड़ रहा था। इन परिस्थितियों को देखते हुए RTO ने निर्णय लिया है कि अब ट्रैफिक चालानों, खासतौर पर पुराने और ऑफलाइन चालानों को सीधे जिला अदालत भेजा जाएगा।

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ए.आर.टी.ओ. विशाल गोयल ने जानकारी दी कि RTO बलबीर राज सिंह के निर्देशों के अनुसार पिछले एक सप्ताह में लगभग 22,300 ट्रैफिक चालान दस्तावेजों सहित अदालत को सौंपे जा चुके हैं।

क्यों लिया गया यह बड़ा फैसला?

RTO अधिकारियों के अनुसार, वर्षों से जमा पुराने चालान एक बड़ी समस्या बन चुके थे। इनका रिकॉर्ड संभालना, दस्तावेजों को ट्रेस करना और भुगतान प्रक्रिया को पूरा करना विभाग के लिए अत्यंत जटिल हो गया था।

RTO बलबीर राज सिंह ने बताया कि अधिकतर ऑफलाइन चालान (Offline Challans) को ट्रैक करने में काफी समय लग जाता था, जिससे जरूरी विभागीय काम प्रभावित हो रहा था। यही वजह थी कि एजेंट और बिचौलिए इस प्रक्रिया में घुसपैठ कर चुके थे, जो आम लोगों से अवैध फीस वसूलते थे और चालान निपटाने का झांसा देते थे।

एजेंट माफिया की होगी छुट्टी

वर्षों से लगातार यह शिकायतें मिल रही थीं कि चालान निपटाने की प्रक्रिया में कई एजेंट और बिचौलिए सक्रिय हैं, जो आम नागरिकों को भ्रमित कर उनसे मोटी रकम वसूलते हैं। इस निर्णय से इन बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो जाएगी।

अब जब चालान सीधे अदालत को भेजे जाएंगे और वहीं से भुगतान की प्रक्रिया संपन्न होगी, तो एजेंटों का कोई दखल नहीं रहेगा। इससे भ्रष्टाचार पर रोक (Corruption Control) लगेगी और आम आदमी को एक पारदर्शी व्यवस्था मिलेगी।

ट्रैफिक पुलिस भेजेगी चालान, RTO करेगा फॉरवर्ड

इस नए सिस्टम में एक और बड़ा बदलाव यह है कि ट्रैफिक पुलिस चालानों को पहले की तरह RTO ऑफिस को भेजेगी। लेकिन अब RTO उन्हें लंबित रखने की बजाय प्रतिदिन की आधार पर डायरेक्ट कोर्ट फॉरवर्डिंग (Direct Court Forwarding) करेगा। इससे चालानों का निपटारा समयबद्ध रूप से हो सकेगा।

इससे पहले ट्रैफिक चालान महीनों तक RTO ऑफिस में लंबित रहते थे, जिनका कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाता था। अब ये चालान कोर्ट में भेजे जाएंगे और वहां से ही उनके समाधान की प्रक्रिया होगी।

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RTO केवल ऑनलाइन चालानों को करेगा प्रोसेस

ए.आर.टी.ओ. विशाल गोयल ने यह भी स्पष्ट किया कि अब RTO कार्यालय सिर्फ ऑनलाइन ट्रैफिक चालानों (Online Traffic Challans) को प्रोसेस करेगा।

वहीं सभी ऑफलाइन, पुराने या विवादित चालान अब अदालत के अधीन रहेंगे। इससे दो प्रक्रियाओं में स्पष्ट भेद रहेगा और नागरिकों को यह तय करने में आसानी होगी कि उन्हें किस कार्यालय से संपर्क करना है।

यह प्रणाली एक तरह से डिजिटल और न्यायिक प्रक्रिया को अलग-अलग कर देगी, जिससे सिस्टम और अधिक पारदर्शी और सरल हो जाएगा।

चालान भुगतने की दर में सुधार की उम्मीद

अब जब चालान सीधे कोर्ट से जुड़े होंगे, तो वाहन चालक इन मामलों में लापरवाही नहीं बरत पाएंगे। पहले कई बार देखा गया कि लोग चालान को लेकर लापरवाह रहते थे या एजेंटों के भरोसे छोड़ देते थे। लेकिन कोर्ट से मिलने वाले लीगल नोटिस और समन (Legal Summon) के चलते अब चालान का भुगतान समय पर करना जरूरी हो जाएगा।

इससे न सिर्फ सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी बल्कि ट्रैफिक नियमों के प्रति भी लोगों में जागरूकता बढ़ेगी।

सिस्टम में पारदर्शिता और आम लोगों को राहत

यह प्रशासनिक निर्णय गवर्नेंस सिस्टम को अधिक जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। न केवल आम नागरिकों को राहत मिलेगी, बल्कि सिस्टम की जवाबदेही और पारदर्शिता (Transparency in Governance) भी बढ़ेगी।

ट्रैफिक चालान निपटाने की यह नई प्रक्रिया भविष्य में पूरे राज्य के लिए एक मिसाल बन सकती है।

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