किफायती तरीके से घर पर सोलर सिस्टम लगाए
सोलर पैनलों को नवीनीकरण एनर्जी का साफ स्त्रोत मानते है जिसमे सोलर ऊर्जा को बिजली में बदला जाता है और ये पर्यावरण के भी काफी सूटेबल रहती है। इससे माहौल में किसी प्रकार का दूषण नही होता है और साफ एवं कार्बन मुक्त पावर पैदा हो जाती है। सोलर पैनलों को लगाने से लोग महंगे बिजली के बिलों से मुक्ति पा सकते है। साथ ही एक्स्ट्रा बिजली को बेचकर इनकम भी हो जाती है।
एक सोलर पैनल पर 25 वर्षो की वारंटी मिलती है एवं वर्षो तक फ्री बिजली का पैदा होती है। किसी सोलर सिस्टम में सोलर पैनलों के साथ ही सोलर इन्वर्टर, सोलर बैटरी बैकअप एवं दूसरे डिवाइस रहते है। ये सभी एक पूर्ण सोलर सिस्टम को इंस्टाल करने में सहायक रहते है।
सोलर सिस्टम के खर्च से जुड़े तथ्य
सोलर पैनलों की क्षमता
किसी सोलर पैनल का चयन इसकी क्षमता के ऊपर डिपेंड करेगा और सामान्य रूप से किसी सोलर पैनल का मूल्य इसकी वॉट क्षमता के ऊपर आधारित रहता है। लिए हुए किसी सोलर पैनल की क्षमता जितनी अधिक रहेगी तो प्रति वाट की कीमत भी उनती कम रहेगी।
सोलर पैनलों के प्रकार
किसी सोलर पैनल का मूल्य इसके टाइप के हिसाब से भिन्न रहेगा। पैनल काफी टाइप के आते है एवं मार्केट में इनकी क्वालिटी एवं दक्षता को बिक्री का आधार बनाते है। इनमें पॉलीक्रिस्टलाइन, मोनोक्रिस्टलाइन एवं बाइफेसियल सोलर पैनल होते है जोकि सर्वाधिक सस्ते होने के साथ दक्ष भी रहते है।
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल सामान्यतया मोनोक्रिस्टलाइन टाइप के पैनल के मुकाबले में कुछ कम कीमत में आते है जोकि ज्यादा खरीदे भी जाते है। मोनोक्रिस्टलाइन पैनलों का मूल्य भी ज्यादा रहता है किंतु यह पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल के मुकाबले में ज्यादा दक्ष रहते है और हल्की सनलाइट में भी बिजली पैदा कर पाते है। वही एक बाइफेसियल सोलर पैनलों अपनी दोनो साइडो से बिजली पैदा करने में सक्षम है और ये सर्वाधिक उन्नत सोलर पैनल है जोकि अन्य से ज्यादा रेट पर आते है।
एक सोलर सिस्टम को इंस्टाल करना
किसी सोलर पैनल को सिस्टम में लगाने का काम कोई टेक्नीशियन करता है। वैसे जो लोग भी अपने घर अथवा दूसरी जगह पर सोलर पैनल लगाने की सोच रहे हो तो उनको ज्यादा टाइम तक धूप के आने वाले स्थान पर चुनाव करना चाहिए। सोलर पैनल के इंस्टाल होने से पूर्व उस प्लेस में बिजली के लोड को भी जान लेना चाहिए। एक्स्ट्रा खर्च से बचाव में आपने इस बात को तय करना होगा कि वो सोलर सिस्टम सभी जरूरतों की पूर्ति करता हो। आपने लोड क्षमता के हिसाब से सोलर पैनल को लगना है।
सोलर सिस्टम में इन्वर्टर की मदद से डीसी करंट को एसी में बदलते है जोकि एसी चलित उपकरणों को चला पाता है। यह 2 तकनीक में आ रहा है पहला PWM एवं दूसरा MPPT। किसी सोलर पैनल से पैदा हो रही बिजली को सोलर बैटरी में स्टोर करने की जरूरत होती है जोकि मार्केट में C10 से C20 रेटिंग में आता है।
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एक सोलर सिस्टम का मूल्य जाने
यदि आपने 5 kW क्षमता के सोलर सिस्टम को लगाना हो तब सारे अपलाएंस की कीमत एवं अतिरिक्त खर्च समेत कुल कीमत 4 से 6 लाख रुपए तक पड़ जाती है। ये कीमत खरीदे गए सोलर पैनल के प्रकार एवं बैटरी की क्षमता के ऊपर डिपेंड करती है।