Alimony Rule: गुजारा भत्ता के बदले नियम, तलाक के बाद सिर्फ पति ही नहीं, इन लोगों को भी देना होगा गुजारा भत्ता – जानिए नियम

यह लेख Alimony Rules in India के बारे में विस्तृत जानकारी देता है, विशेष रूप से उन मामलों में जब तलाक के बाद पति की मृत्यु हो जाती है। इसमें बताया गया है कि महिला किस तरह पति की संपत्ति, ससुराल पक्ष या सरकारी सहायता से गुजारा भत्ता प्राप्त कर सकती है। कानूनों की व्याख्या और FAQs के माध्यम से यह लेख महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करता है।

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Written byRohit Kumar

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Alimony Rule: गुजारा भत्ता के बदले नियम, तलाक के बाद सिर्फ पति ही नहीं, इन लोगों को भी देना होगा गुजारा भत्ता – जानिए नियम
Alimony Rule

तलाक और गुजारा भत्ता (Alimony) से जुड़े कानूनों में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं, जिनका उद्देश्य महिलाओं को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। भारत में हिंदू मैरिज एक्ट 1955 और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 जैसे कानून महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर तलाक के बाद पति की मृत्यु हो जाए और महिला आर्थिक रूप से असमर्थ हो, तो क्या वह अपने भरण-पोषण के लिए पति की संपत्ति या उसके परिवार से गुजारा भत्ता मांग सकती है?

क्या है गुजारा भत्ता (Alimony)?

गुजारा भत्ता (Alimony) वह वित्तीय सहायता है जो पति तलाक के बाद अपनी पत्नी को देता है, ताकि वह अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा कर सके। यह सहायता कोर्ट के आदेश से या आपसी सहमति से तय की जाती है। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 25 के तहत एलिमनी का प्रावधान दिया गया है, जिसमें पत्नी को उसके जीवनयापन के लिए मदद दी जाती है।

कैसे तय होती है एलिमनी?

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कोर्ट एलिमनी तय करने के लिए कई कारकों का मूल्यांकन करता है:

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  • पति-पत्नी की आय और संपत्ति: दोनों पक्षों की आय और उनके पास मौजूद संपत्तियों का विश्लेषण किया जाता है।
  • विवाह की अवधि: शादी जितनी लंबी होगी, एलिमनी उतनी अधिक हो सकती है।
  • पति-पत्नी की उम्र और स्वास्थ्य: यदि पत्नी की उम्र अधिक हो या उसकी स्वास्थ्य स्थिति खराब हो, तो उसे अधिक सहायता दी जा सकती है।
  • बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण: यदि महिला के पास बच्चे हैं, तो उनकी शिक्षा और देखभाल का खर्च भी एलिमनी में शामिल किया जा सकता है।
  • सोशल स्टेटस और जीवनशैली: कोर्ट यह भी देखती है कि तलाक से पहले महिला की जीवनशैली कैसी थी और उसके अनुरूप उसे सहायता दी जाती है।

तलाक के बाद पति की मृत्यु पर महिला के अधिकार

अगर तलाक के बाद पति की मृत्यु हो जाती है और महिला आर्थिक रूप से कमजोर है, तो वह गुजारा भत्ता (Alimony) पाने के लिए निम्नलिखित विकल्पों पर विचार कर सकती है:

  1. पति की संपत्ति पर दावा: हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत तलाकशुदा महिला अपने पूर्व पति की संपत्ति में उत्तराधिकारी नहीं मानी जाती, लेकिन यदि उसे पहले से एलिमनी मिल रही थी और उसे किसी अन्य स्रोत से वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है, तो वह कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकती है। कोर्ट परिस्थितियों को देखते हुए उसे आर्थिक सहायता देने का निर्देश दे सकती है।
  2. ससुराल पक्ष से सहायता: यदि महिला अपने भरण-पोषण के लिए असमर्थ है, तो वह पति के माता-पिता या अन्य कानूनी उत्तराधिकारियों से सहायता मांग सकती है। हालांकि, इसके लिए महिला को यह साबित करना होगा कि वह स्वयं आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है और उसे भरण-पोषण के लिए मदद की आवश्यकता है।
  3. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की सहायता योजनाएं: सरकार द्वारा तलाकशुदा और विधवा महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं, जिनमें वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। ऐसी किसी योजना का लाभ लेने के लिए महिला को सरकार द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा।

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