
भारत में गिग इकॉनमी (Gig Economy) तेजी से बढ़ रही है और नीति आयोग के अनुमान के मुताबिक, 2024-25 तक इसमें एक करोड़ से अधिक लोग कार्यरत होंगे। वहीं, 2029-30 तक यह आंकड़ा बढ़कर 2.35 करोड़ तक पहुंच जाएगा। सरकार इस सेक्टर में काम करने वाले वर्कर्स को औपचारिक श्रम व्यवस्था में लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसी दिशा में ई-श्रम पोर्टल (E-Shram Portal) पर रजिस्ट्रेशन कराने की अपील की गई है, ताकि इन वर्कर्स को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
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ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने की अपील
श्रम मंत्रालय (Ministry of Labour) ने देशभर के गिग वर्कर्स से अपील की है कि वे जल्द से जल्द ई-श्रम पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराएं। यह पोर्टल अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार कर रहा है, जिससे सरकार उन्हें विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ पहुंचा सके।
सरकार का मानना है कि गिग इकॉनमी से जुड़े वर्कर्स, जैसे कि डिलीवरी एग्जीक्यूटिव्स (Delivery Executives), फ्रीलांसर्स (Freelancers), कैब ड्राइवर्स (Cab Drivers) और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले अन्य वर्कर्स को भी पारंपरिक रोजगार की तरह सुरक्षा मिलनी चाहिए।
ई-श्रम पोर्टल से जुड़े फायदे:
- गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा।
- भविष्य में पेंशन और बीमा योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।
- आपदा और दुर्घटना के समय वित्तीय सहायता मिल सकेगी।
- सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में प्राथमिकता दी जाएगी।
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बजट 2024 में गिग वर्कर्स के लिए नई योजनाओं की घोषणा
वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए बजट 2024 (Budget 2024) में गिग इकॉनमी और इससे जुड़े वर्कर्स को ध्यान में रखते हुए कई अहम घोषणाएं की गईं। इसमें मुख्य रूप से गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा कवरेज के तहत लाने की बात कही गई।
बजट के मुख्य बिंदु:
- गिग वर्कर्स के लिए एक अलग से बीमा और पेंशन योजना लाने की योजना।
- संगठित और असंगठित क्षेत्र (Organized and Unorganized Sector) के बीच अंतर को खत्म करने के लिए नए श्रम सुधार।
- डिजिटल इंडिया (Digital India) और स्टार्टअप इकोसिस्टम (Startup Ecosystem) को बढ़ावा देने के लिए गिग इकॉनमी के योगदान को पहचानना।
पेंशन योजना पर सरकार की तैयारी
गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सरकार एक नवीनतम पेंशन योजना पर काम कर रही है। इसका उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। श्रम मंत्रालय इस योजना को जल्दी लागू करने के लिए नीति आयोग और अन्य संबंधित संस्थानों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
संभावित लाभ:
- नियमित योगदान के आधार पर न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित की जाएगी।
- सरकार और वर्कर्स के बीच को-फंडिंग मॉडल (Co-Funding Model) लागू हो सकता है।
- डिजिटल माध्यम से पेंशन फंड में योगदान आसान बनाया जाएगा।
भारत में गिग इकॉनमी का भविष्य
भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में गिग सेक्टर का महत्व बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र देश में रोजगार के अवसरों को तेजी से बढ़ा सकता है। फिनटेक (Fintech), ई-कॉमर्स (E-Commerce), रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy), हेल्थकेयर (Healthcare) और लॉजिस्टिक्स (Logistics) जैसे क्षेत्रों में गिग वर्कर्स की मांग बढ़ रही है।
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गिग इकॉनमी के प्रमुख कारक:
- डिजिटलीकरण (Digitization) और इंटरनेट पेनिट्रेशन (Internet Penetration) का विस्तार।
- स्टार्टअप और ऑनलाइन बिजनेस का तेजी से बढ़ना।
- लचीला कार्य समय और पारंपरिक नौकरियों की तुलना में अधिक स्वतंत्रता।
- कंपनियों की ओर से फ्रीलांस टैलेंट (Freelance Talent) की मांग में वृद्धि।
सरकार का लक्ष्य है कि गिग इकॉनमी के लिए एक ठोस नीति तैयार की जाए, जिससे इसमें कार्यरत लोगों को श्रम कानूनों के तहत सुरक्षा मिल सके और वे भी वित्तीय एवं सामाजिक रूप से सुरक्षित महसूस करें।