बैलगाड़ी पर भी कट गया चालान! MP की स्मार्ट सिटी टेक्नोलॉजी से पुलिस रह गई हैरान

मध्य प्रदेश के सागर जिले से आई इस अजीबो-गरीब खबर ने सभी को चौंका दिया है। बिना नंबर प्लेट और रजिस्ट्रेशन के बैलगाड़ी का चालान काटा गया और भेज दिया गया एक वाहन मालिक को! स्मार्ट सिटी की इस डिजिटल लापरवाही के पीछे की पूरी कहानी जानिए, जो हंसी के साथ-साथ चिंता भी बढ़ा रही है

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Written byRohit Kumar

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बैलगाड़ी पर भी कट गया चालान! MP की स्मार्ट सिटी टेक्नोलॉजी से पुलिस रह गई हैरान
बैलगाड़ी पर भी कट गया चालान! MP की स्मार्ट सिटी टेक्नोलॉजी से पुलिस रह गई हैरान

मध्य प्रदेश के सागर जिले से एक बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसे जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। मामला है Sagar Bailgadi E-Chalan का, जहां एक बैलगाड़ी का ट्रैफिक चालान काट दिया गया। हैरानी की बात यह है कि इस बैलगाड़ी पर ना तो कोई नंबर प्लेट थी और ना ही इससे जुड़ा कोई पंजीकरण। बावजूद इसके ई-चालान (E-Challan) काट दिया गया और वह भी किसी वाहन मालिक के नाम पर।

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Sagar Bailgadi E-Chalan की यह घटना न केवल हास्यास्पद है, बल्कि एक गंभीर प्रशासनिक और तकनीकी चूक का प्रतीक भी है। ऐसे मामलों से यह ज़रूरी हो जाता है कि डिजिटल सिस्टम लागू करते समय सतर्कता और मानवीय हस्तक्षेप को नजरअंदाज न किया जाए। स्मार्ट सिटी की अवधारणा तभी सफल हो सकती है जब तकनीक का उपयोग सही तरीके से और पारदर्शिता के साथ किया जाए।

जब बैलगाड़ी बनी ट्रैफिक नियमों की ‘अपराधी’

इस अनोखी घटना ने लोगों को हैरत में डाल दिया है। दरअसल, यह मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति के पास ई-चालान का नोटिस आया, जिसमें उसके वाहन से ट्रैफिक नियम उल्लंघन का हवाला दिया गया था। लेकिन जब उसने चालान की तस्वीर देखी, तो उसमें एक बैलगाड़ी दिखाई दे रही थी। अब सोचिए, बिना इंजन, बिना रजिस्ट्रेशन नंबर और बिना किसी तकनीकी उपकरण वाली बैलगाड़ी को ट्रैफिक कैमरा ने कैसे पकड़ लिया?

स्मार्ट सिटी के सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ी

यह घटना सागर जिले (Sagar District) की बताई जा रही है, जहां स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत ट्रैफिक निगरानी के लिए आधुनिक कैमरों का उपयोग किया जा रहा है। जिले के कलेक्टर के निर्देश पर रोजाना 1000 से अधिक चालान जारी किए जा रहे हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में जिस प्रकार की जल्दबाजी और लापरवाही सामने आ रही है, उससे डिजिटल गड़बड़ी (Technical Glitch) साफ दिखाई देती है।

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इस गड़बड़ी का शिकार सिर्फ बैलगाड़ी नहीं बनी है, बल्कि कई ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जहां घर पर खड़ी गाड़ियों का चालान काटा गया, या फिर हेलमेट पहनकर गाड़ी चलाने के बावजूद ट्रैफिक उल्लंघन का नोटिस भेजा गया।

आम जनता पर भारी पड़ रही स्मार्ट चालान प्रणाली

ट्रैफिक नियमों के सख्त पालन के नाम पर ई-चालान की यह व्यवस्था आम जनता के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। एक हालिया मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति, जो अपने परिवार के साथ कुंभ स्नान पर गया था, उसकी अनुपस्थिति में उसकी गाड़ी का चालान कर दिया गया।

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इसी तरह कई लोगों ने शिकायत की है कि अलग-अलग कंपनी की गाड़ियों की पहचान कर पाने में भी कैमरा प्रणाली विफल रही है। इससे साफ है कि स्मार्ट सिटी के अंतर्गत जो डिजिटल निगरानी व्यवस्था बनाई गई है, उसमें कई कमियां हैं।

ट्रैफिक पुलिस की सफाई और समाधान का रास्ता

इस पूरे मामले पर सागर जिले के ट्रैफिक डीएसपी मयंक सिंह चौहान का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों से ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। अगर किसी को लगे कि उसका चालान गलत हुआ है, तो वह स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम में जाकर शिकायत दर्ज कर सकता है।

हालांकि, जब तक सिस्टम में तकनीकी खामियों को सुधारा नहीं जाता, तब तक ऐसे फर्ज़ी चालान (Fake Challan) जारी होते रहेंगे और आम लोगों को बेवजह परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

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तकनीकी सुधारों की आवश्यकता

यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि क्या भारत जैसे विशाल देश में, जहां तकनीकी जागरूकता और संसाधनों की सीमाएं हैं, वहां पूर्ण डिजिटल ट्रैफिक निगरानी प्रणाली कितनी प्रभावी और न्यायसंगत हो सकती है?

ऐसी प्रणाली में सिर्फ तकनीकी दक्षता ही नहीं, मानवीय निगरानी और उचित सत्यापन प्रक्रिया भी जरूरी है। बिना जांच-पड़ताल के चालान भेजना न सिर्फ लोगों के समय और पैसे की बर्बादी है, बल्कि यह व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करता है।

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