
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI Payment) के उपयोगकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। अगर आप भी डिजिटल पेमेंट सिस्टम के तहत UPI का उपयोग करते हैं, तो आपके लिए यह नई अपडेट बेहद जरूरी है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने 24 अप्रैल 2025 को एक नया सर्कुलर जारी किया है, जो सभी UPI एप्लिकेशन्स और संबंधित बैंकों को 30 जून 2025 तक पालन करने का निर्देश देता है। इस नए नियम के तहत अब यूजर को UPI ट्रांजैक्शन करते समय बेनेफिशियरी यानी प्राप्तकर्ता के बैंक खाते में दर्ज असली नाम की जानकारी पहले ही दिखा दी जाएगी।
फ्रॉड और गलत ट्रांजैक्शन से मिलेगी राहत
NPCI के इस फैसले का मुख्य उद्देश्य UPI पेमेंट सिस्टम में सुरक्षा और पारदर्शिता को और अधिक सुदृढ़ बनाना है। अक्सर ऐसा होता है कि QR कोड स्कैन करके या मोबाइल कॉन्टेक्ट से पेमेंट भेजने पर सामने वाले का असली नाम दिखाई नहीं देता, जिससे फ्रॉड या गलत ट्रांजैक्शन की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन अब इस नए नियम के बाद ट्रांजैक्शन शुरू करने से पहले ही प्राप्तकर्ता का बैंक अकाउंट में दर्ज वास्तविक नाम स्क्रीन पर दिखाई देगा। इससे न केवल यूजर की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि उन्हें यह सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी कि पैसा सही व्यक्ति को ही जा रहा है।
QR कोड और कॉन्टेक्ट लिस्ट के नाम नहीं होंगे मान्य
नई गाइडलाइन के अनुसार, किसी भी प्रकार के QR कोड या मोबाइल कॉन्टेक्ट लिस्ट में सेव नाम को अब पेमेंट वेरिफिकेशन के लिए मान्य नहीं माना जाएगा। यानी यदि आपने किसी व्यक्ति का नाम “राहुल फलाना” सेव कर रखा है, लेकिन उसके बैंक खाते का असली नाम “राहुल शर्मा” है, तो स्क्रीन पर “राहुल शर्मा” ही दिखाई देगा। इससे उपयोगकर्ता को असली जानकारी मिलने से गलत पहचान और पेमेंट फ्रॉड से बचाव होगा।
सभी UPI एप्लिकेशनों को मिले निर्देश
इस नियम को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए NPCI ने सभी प्रमुख UPI प्लेटफॉर्म्स जैसे PhonePe, Google Pay, Paytm, BHIM आदि को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। इन सभी एप्लिकेशनों को अपने इंटरफेस में इस नए फीचर को इंटीग्रेट करना अनिवार्य होगा, ताकि यूजर को हर पेमेंट से पहले प्राप्तकर्ता का वास्तविक बैंक नाम दिखाई दे सके। इसके लिए सिस्टम को रियल टाइम में बैंक सर्वर से जुड़कर जानकारी प्राप्त करनी होगी।
नया नियम कैसे करेगा काम?
जब कोई यूजर किसी व्यक्ति को UPI से पैसे भेजने के लिए ट्रांजैक्शन शुरू करेगा, तो पहले की तरह UPI ID डालने या QR कोड स्कैन करने के बाद स्क्रीन पर संबंधित बैंक अकाउंट होल्डर का रजिस्टर्ड नाम दिखाई देगा। यूजर तभी पेमेंट को आगे बढ़ा सकेगा जब वह उस नाम को वेरिफाई कर ले। यह प्रक्रिया कुछ सेकंड में पूरी होगी और यूजर को पूरी पारदर्शिता के साथ पेमेंट की पुष्टि करने का मौका मिलेगा।
UPI पेमेंट सिस्टम को मिलेगा नया आयाम
UPI भारत में सबसे लोकप्रिय डिजिटल पेमेंट सिस्टम बन चुका है, और NPCI लगातार इसे अधिक सुरक्षित, तेज़ और उपयोगकर्ता अनुकूल बनाने की दिशा में काम कर रहा है। यह नया नियम न केवल तकनीकी रूप से सशक्त है बल्कि यूजर को सशक्त बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल आम उपभोक्ता को फायदा होगा बल्कि व्यापारी वर्ग और सर्विस प्रोवाइडर भी गलत पेमेंट और विवादों से बच सकेंगे।
डिजिटल लेन-देन को मिलेगा नया भरोसा
इस बदलाव से UPI ट्रांजैक्शन में लोगों का भरोसा और अधिक मजबूत होगा। वर्तमान में डिजिटल पेमेंट में जो सबसे बड़ी चिंता है वह है फ्रॉड और अनजाने रिसीवर को पैसे भेज देने की समस्या। अब बैंक अकाउंट नाम वेरिफिकेशन के माध्यम से यह चिंता काफी हद तक दूर हो सकेगी। यह पहल सरकार के “डिजिटल इंडिया” अभियान और सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्टम की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।
30 जून 2025 तक अनिवार्य होगा नियम का पालन
NPCI द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार, यह नया नियम सभी UPI सेवा प्रदाताओं के लिए 30 जून 2025 तक लागू करना अनिवार्य होगा। इसके बाद किसी भी एप्लिकेशन को इस सुविधा के बिना UPI पेमेंट की अनुमति नहीं दी जाएगी। समय रहते एप्लिकेशन डेवेलपर्स और बैंकों को अपने सिस्टम को अपडेट करने होंगे।