अगला उपराष्ट्रपति कौन? रेस में शामिल हुआ दिग्गज नेता, PM मोदी का है पूरा भरोसा

2025 की सियासत में बड़ा धमाका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद और करिश्माई नेता ने उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में एंट्री ली है। राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है, विपक्ष की रणनीतियाँ बदलने लगी हैं और सत्ता के समीकरण नए मोड़ लेने को तैयार हैं। जानिए कौन है ये नाम और क्यों है ये गेमचेंजर!

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Written byRohit Kumar

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अगला उपराष्ट्रपति कौन? रेस में शामिल हुआ दिग्गज नेता, PM मोदी का है पूरा भरोसा
अगला उपराष्ट्रपति कौन? रेस में शामिल हुआ दिग्गज नेता, PM मोदी का है पूरा भरोसा

एनडीए (National Democratic Alliance) में अगले उपराष्ट्रपति (Vice President) पद के उम्मीदवार को लेकर मंथन तेज़ हो गया है। इसलिए इस मुद्दे पर अब तक कई नाम चर्चा में आ चुकें हैं और ताज़ा जानकारी के मुताबिक कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत का नाम इस लिस्ट में शामिल हो गया है। सूत्रों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) गहलोत के नाम पर गंभीरता से विचार कर रही है

राजनीतिक गलियारों में तेज अटकलें

संसद के मॉनसून सत्र के बीच ही राजनीतिक गलियारों में उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर हलचल बढ़ गई है। एनडीए के भीतर रणनीति बैठकों और चर्चाओं का दौर जारी है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि बीजेपी नेर्तत्व उन चेहरे पर विचार कर रहा है, जो संगठन, राजनीती और अनुभव के लिहाज से इस पद के लिए मजबूत दावेदार माने जा सकते हैं। इसी कड़ी में थावरचंद गहलोत का नाम उभर कर सामने आया है।

थावरचंद गहलोत का राजनीतिक सफर

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थावरचंद गहलोत भारतीय राजनीति के एक अनुभवी और सीनियर नेता माने जाते हैं। उन्होंने लंबे समय तक राज्यसभा में बीजेपी का प्रतिनिधित्व किया और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री (Minister of Social Justice and Empowerment) के तौर पर अहम भूमिका निभाई। कर्नाटक के राज्यपाल बनने से पहले वे संगठन में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं।

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गहलोत का राजनीतिक करियर उनकी सादगी, संगठनात्मक क्षमता और सामाजिक मुद्दों पर स्पष्ट रुख के लिए जाना जाता है। वे अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं, जिससे उनकी उम्मीदवारी को राजनीतिक संतुलन के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है।

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एनडीए की रणनीति और जातीय समीकरण

उपराष्ट्रपति पद का चुनाव सीधे तौर पर सरकार की नीतियों को प्रभावित नहीं करता, लेकिन यह पद संवैधानिक और राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। बीजेपी और एनडीए नेतृत्व इस चुनाव में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
गहलोत का कर्नाटक से होना दक्षिण भारत में पार्टी की उपस्थिति को मजबूत करने में मदद कर सकता है। साथ ही, उनका सामाजिक पृष्ठभूमि दलित समुदाय में पार्टी की पहुंच को और बढ़ाने का अवसर दे सकता है।

चुनाव प्रक्रिया और संभावित टाइमलाइन

उपराष्ट्रपति पद का कार्यकाल पांच साल का होता है और मौजूदा उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद नए चुनाव होंगे। चुनाव आयोग (Election Commission) की ओर से आधिकारिक कार्यक्रम घोषित होते ही एनडीए अपना उम्मीदवार फाइनल करेगा। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी अपने सहयोगी दलों से लगातार बातचीत में है और अंतिम फैसला जल्द ही लिया जा सकता है।

विपक्ष की नजर और संभावित प्रतिक्रिया

विपक्षी गठबंधन भी इस चुनाव को लेकर सतर्क है। विपक्ष के नेताओं का मानना है कि उपराष्ट्रपति पद पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए उन्हें एक साझा उम्मीदवार उतारना होगा। ऐसे में, अगर बीजेपी गहलोत का नाम आगे बढ़ाती है तो विपक्षी रणनीति में भी बदलाव संभव है।

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