हाइड्रोजन सोलर पैनल क्या हैं और ये कितनी बिजली बनाते है, जाने

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Written byRohit Kumar

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हाइड्रोजन सोलर पैनल पैदा होने वाली बिजली

नवीनीकरण ऊर्जा के क्षेत्र में आधुनिक सोलर पैनल के साथ ही काफी अन्य उन्नत तकनीकों का विकास हो रहा है। उन्नत सोलर पैनल आज हाइड्रोजन सोलर पैनल भी मार्केट में आने लगे है। इस प्रकार के पैनल 24 घंटे बिजली का उत्पादन कर पाते है। आज के लेख में आप हाइड्रोजन सोलर पैनल से जुड़ी डीटेल्स को जान पाएंगे।

हाइड्रोजन सोलर पैनल

Hydrogen solar panel

आधुनिक हाइड्रोजन सोलर पैनल के सोलर सिस्टम में बैटरी के बैकअप की जरूरत खत्म हो जाती है। ये पैनल रात दिन बिजली उत्पादन करने में सक्षम रखते है। केंद्र सरकार भी साल 2022 में इस प्रकार के सोलर पैनलों को लेकर के नीति लाई थी। इसके मुताबिक, वर्ष 2030 तक बायोमास फ्यूल को हाइड्रोजन में बदला जाना है। इस नीति का प्रयोजन देश को विश्वभर शीर्ष हाइड्रोजन उत्पादक एवं निर्यातक बनाना है। ऐसे वैश्विक स्तर में नवीनीकरण ऊर्जा के मामले में देश की क्षमता में वृद्धि होगी।

हाइड्रोजन सोलर पैनलों के फायदे

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इस टाइप के सोलर पैनल से दिन-रात के समय में बिजली बनाने का काम हो सकता है। ऐसे दिन की रोशनी पर डिपेंड हुए बगैर ही ये बिजली का उत्पादन करता रहता है। दिन के टाइम पर यह आम परंपरागत सोलर पैनल की तरह ही सोलर ऊर्जा का इस्तेमाल करते है। साथ ही ये दिन के समय पर हाइड्रोजन में स्प्लिट करके अतिरिक्त ऊर्जा को स्टोर कर लेता है और रात्रि के टाइम पर इससे बिजली पैदा करने का काम करता है।

आम सोलर सिस्टम में बैटरी के बैकअप की जरूरत रहती है तो आधुनिक हाइड्रोजन सोलर पैनल में इनकी जरूरत नहीं रह जाती है। ऐसे बैटरी से संबंधित खर्च एवं रखरखाव नही रहता है जोकि सिस्टम को अधिक दक्ष एवं किफायती बनाता है। भारत की अन्य सोलर निर्माता कंपनी भी पूर्व समय से ही हाइड्रोजन के सोलर पैनल से बिजली उत्पादन पर कार्यरत है। वैसे इस उत्पादन की शुरुआती कीमत कुछ अधिक रह सकती है किंतु स्थानीय स्तर पर उत्पादन करने पर कीमत कम हो सकती है।

हाइड्रोजन सोलर पैनल की कार्य प्रणाली

Hydrogen solar panel

हाइड्रोजन सोलर पैनलों में हाइड्रोजन के उत्पादन करने में 2 सोलर पैनल इस्तेमाल में आते है। इनमे से एक सोलर ऊर्जा से बिजली बनाता है वही दूसरे से वायु के द्वारा वाटर वेपर निकालने का काम होता है। पैनलों के नीचे ट्यूब लगे बक्से भी लगे रहते है और ट्यूब इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया से सूरज की रोशनी में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन को तोड़ते है।

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इसी प्रक्रिया के बीच हाइड्रोजन गैस को एकत्रित करते है एवं एक फिल्टर में रख लेते है। इसको रात्रि के वक्त बिजली बनाने में कर सकते है। फोटोवोल्टिक ऊर्जा से मिली हाइड्रोजन गैस को बिजली में परिवर्तित करते है जिसको घर के उपकरणों में इस्तेमाल कर सकते है।

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हाइड्रोजन सोलर पैनल की कीमत

इस समय भारत के मार्केट में हाइड्रोजन सोलर पैनल का मूल्य करीबन 3 लाख से 6 लाख रुपए प्रति kW है। विनिर्माण में भारत की कंपनियों की हिस्सेदारी होने पर यह मूल्य साल 2035 में बहुत कम होने वाली है। इस प्रकार से यह मूल्य 1,00,000 रुपए/ kW तक हो सकेगी।

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